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नान स्टाप राइटिंग चेलैंज 2022 एडीशन 1 प्यार के दो बोल( भाग 14)

शीर्षक:- प्यार के दो बोल


       शालिनी इस जीवन मे प्यार के दो बोल पाने के लिए तरस गयी थी। जब से उसने अपना होश सम्भाला था तब से आज तक उसे सभी ने दुत्कारा ही था किसी ने भी प्यार की भाषा नहीं बोली थी।

      उसे वह दिन आज भी याद आता है जब वह मात्र दस साल की थी तभी एक हादसे में उसकी  माँ की मौत होग यी थी। माँ की अक्समात मौत ने उसके पापा को बहुत परेशान कर दिया था।

      क्यौकि शालिनी की दादी ने तो कभी उसे चाहा ही नहीं था उसकी दादी हमेशा उसे टेढी़ नजर से देखती थी क्यौकि उसकी दादी को पोता चाहिए था  क्यौकि दादी का मानना था कि पोते से  ही आगे वंश चलेगा। लड़किया तो परिबार के लिए बोझ होती है ।उनकी शादी में दहेज देना पड़ता है।

           शालिनी की माँ की मौत के बाद उसकी दादी ने उसके पापा की दूसरी शादी करदी।क्यौकि उनको एक पोता चाहिए था। पोते की चाह मे ही वह शालिनी के लिए सौतेली माँ ले आई।

          शालिनी अपनी सौतेली माँ को अपनी सगी माँ से अधिक प्यार करती थी  उसकी सौतेली माँ भी उसे प्यार करती थी। परन्तु जब वह माँ बन गयी उसका     प्यार अपने बेटे की तरफ चला गया। अब वह फिर से अकेली पड़ गयी।। उसके पापा भी अपने बेटे को ही प्यार करते थे।

       इस तरह शालिनी प्यार के लिए तरसने लगी। अब वह  सबसे दूर होती जारही थी । इसी समय उसके पापा ने उसकी शादी के लिए एक लड़का पसन्द आगया। 

     जब उसको उसके हौने वाले पति से मिलाया गया उसने हाँ करदी। शालिनी जब शादी होकर ससुराल आई तब उसे मालूम हुआ कि उसकी सास भी सौतेली है।

       शालिनी का पति रंजन बंगलौर मे अपना औटो चलाता था अभी उसकी इतनी आमन्दनी नही थी कि वह शालिनी को साथ लेजाता। दूसरी बात यह भी थी कि उसके रिश्तेदार कहैगे कि शादी होते ही बहू को साथ लेगया क्यौकि यहाँ सौतेली माँ जो थी।

         इस लिए वह शालिनी को समझाकर  बोला," देख शालिनी मै खर्चा भेजता रहूँगा तू मेरी माँ का ध्यान रखना। इनकी सेवा मे कमी मत आने देना। अन्यथा लोग कहैगे कि सौतेली सास थी। "

  शालिनी ने उसे बिश्वास दिलाया कि कोई  सेवा में कोई कमी नहीं आने दूँगी। इस तरह रंजन बंगलौर चला गया। वह वहाँ से हर महीने रुपया भेजता रहता था।

     उसकी सौतेली सास बहुत तेज थी उसने शालिनी को नौकरानी बनाकर छोड़ दिया। वह सारा काम शालिनी से करवाती थी और उसे खाने को रूखा सूखा ही देती थी। शालिनी को तो यह सब सहन करने की आदत सी होगयी थी। अतः वह सब चुपचाप सहन कर रही थी। उसने  कभी भी इसकी शिकायत रंजन से नही की थी।। क्यौकि वह  जानती थी कि तकदीर को कोई भी बदल नहीं सकता है। इसलिए उसने कभी भी अपनी सौतेली सास का बुरा नही माना।

      एक बार रंजन  ने अपने आने की सूचना किसी को नहीं दीऔर वह  शालिनी को सरप्राइज देना चाहता था। इसी लिए उसके आने की किसी को खबर नही थी।

     रंजन घर पहुँच गया और उसने घंटी बजाई," उधर से उसकी सौतेली  माँने शालिनी को गाली देते हुए कहा," बहू सोरही है  जाके देख इतनी रात में कौन आया है ?"

      शालिनी को अभी अभी नींद आई थी उसने आवाज नहीं सूनी।

 जब दुबारा बैल बजी तब उसकी सास बोली,"   बेहूदी बैल बेचकर सोरही है इतना खाजाती है जैसे इसका खसम कमाकर ला रहा हो। लातौ के भूत है बातौ से कहाँ मानेगे। इसको चपत लगानी होगी। इतना कहकर उसने उसे बाल पकड़कर खडा़ कर दिया और धक्का देकर दरवाजा खोलने भेज दिया।

      शालिनी डरती हुई दरवाजे पर गयी और दरवाजा खोला तो सामने रंजन को देखकर लिपट गयी और रौने लगी।।

जब शालिनी ने अपनी सास को बताया नही कि कौन आया है तब कड़कती हुई आवाज आई," ओ काम चोर तूने बताया नहीं कही तेरे मायके से कोई यार तो मिलने नहीं आया।जो चुपचाप बातै कर रही है। मुझे ही आना होगा यह कहती हुई वह दरवाजे तक पहुँच गयी और सामने रंजन को देखकर उसके होश उड़ गये।

      वह रंजन का हाल पूछते हुए बोली," तू़ बीना किसी सूचना के कैसे आगया सब ठीक है। "

             "  वह बोला मै तो ठीक हूँ परन्तु यहाँ कुछ ठीक नजर नहीं आरहा है। आपने शालिनी का क्या हाल बना दिया है। आखिर आपने अपनी असलियत दिखाही दी। मेरे साथ तो जो किया ठीक था इसने तुम्हारा क्या बिगाडा़ था मैने यह सब अपने कानौ से सुना है  यदि यह शिकायत करती तो मुझे बिश्वास नहीं होता ।  रंजन अपनी सौतेली माँ से बोला।

        " नही ऐसी कोई बात नही है। तुझे कुछ गलतफहमी हुई है।"

    शालिनी बीच में बोली " आप इनको क्यौ दोष देरहे हो यह तो मेरी किस्मत  का लिखा है जो मै बचपन से ही अभागी हूँ जो प्यार के दो बोल के लिए तरस गयी हूँ।   आप थके हुए हो चलो।"

    जब वह शालिनी के कमरे में पहुँचा तब वहाँ काहाल देखकर वह बहुत दुःखी होगया। और शालिनी को साथ लेजाने का  फैसला कर लिया।

                  परन्तु शालिनी सास को छोड़कर जाने को तैयार नही हुई।  शालिनी बोली," मै ऐसा नही कर सकती मै इनके साथ रहूँगी।  दुनिया मुझे ही दोष देगी। मै पहले ही अभागी हूँ। अब  बस जैसी हूँ मै ठीक हूँ  "

 रंजन बोला," देखलो माँ यह इतना सहकर भी आपको छोड़ना नहीं चाहती है। अबतो अपनी सोच बदल लो।

       रंजन की सौतेली माँ सबसे माँफी माँगने लगी ।। परन्तु शालिनी उनके पैर छूकर बोली," नही माँ ऐसा करके मुझ पर पाप मत चढाओ मै तो पहले जन्म के पापौ को ढोरही हूँ। बस  थोडा़ सा प्यार दे सकती हो तो देदो।

                  अब शालिनी  की सास बदलगयी थी घर मे पुनः खुशिया लौट आई थी।

नान स्टाप राइटिंग चेलैन्ज 2022 के लिए रचना

नरेश शर्मा "पचौरी "

 04/07/2022






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5 Comments

Kusam Sharma

09-Jul-2022 08:30 PM

Nice

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Saba Rahman

06-Jul-2022 08:54 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

06-Jul-2022 09:58 AM

बहुत खूबसूरत

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